अल्पना मिश्र के ‘छावनी में बेघर‘ कहानी संग्रह में नारी का यथार्थ चित्रण
Abstract
हिंदी साहित्य जगत में जब कोई भी रचनाकार, लेखक और कवि अपनीरचना का लेखन कार्य करता है तो उस समय उनका मुख्य दृष्टिकोण समाजमें विघटित समस्याओं, अच्छाई, बुराइयों की ओर होता है तथा वह समाज कोज्यों का त्यों चित्रित करता है। साहित्यकार विभिन्न विधाओं के द्वारा मनुष्यजीवन के विभिन्न पहलुओं को अपने साहित्य का माध्यम बनाता है।साहित्यकार का उद्देश्य समाज में व्याप्त बुराइयों और अच्छाइयों का चित्रणकरना ही नहीं, अपितु समाज में घटित विभिन्न समस्याओं और कुप्रथाओं कीओर पाठक का ध्यान दिला कर उसकी चेतना को भी जागरूक करना है ।यथार्थ का क्षेत्र बहुत ही विशाल और व्यापक हो गया है और एकरचनाकार अपने साहित्य के माध्यम से पाठक के सामने किसी भी स्थिति यथार्थका वर्णन करता है। सामान्यतः हम कह सकते हैं कि वास्तविक स्थिति काज्ञान होना ही यथार्थ है।