जगदीश चन्द्र के उपन्यासों में ‘दलित चेतना’
Keywords:
दलित चेतना’Abstract
1930 में पंजाब के होशियारपुर जिले के एक गांव में उच्चवर्गीय और उच्चजाति में पैदा हुए जगदीश चन्द्र ने डी॰ए॰वी॰ काॅलेज जालन्धर से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की शिक्षा लेने के बाद दिल्ली में लम्बे समय तक आकाशवाणी-दूरदर्शन आदि में नौकरी की। जालन्धर में 1996 में अचानक उनकी मृत्यु हुई। आपने 1956 में उर्दू में लिखना शुरू किया। 1966 में प्रथम हिन्दी उपन्यास ‘यादों के पहाड़’ से शुरू होकर ‘कभी न छोड़ें खेत’, ‘आधा पुल-, ‘मुट्ठी भर काँकर’, ‘घास गोदाम’, ‘धरती धन न अपना’(1972) , ‘नरककुण्ड में बास’, ‘टुण्डा लाट’, ‘लाट की वापसी’, ‘जमीन अपनी तो थी’ (2001) आपने कुल दस उपन्यास लिखे। आपका एक कहानी संग्रह ‘पहली रपट’ तथा एक नाटक ‘नेता जी का जन्म’ भी है।