रेणु के कथा साहित्य में भाषा
Keywords:
कथा साहित्यAbstract
मैला आंचल’ अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ मैला आंचल पर रेणु लिखते हैं:मैंनेे जो शब्दों का इस्तेमाल किया, जैसी भाषा लिखी क्या पता उसको लोग कबूल करेंगे या नहंी करेंगे इसलिए मैेने उसे ‘आंचलिक उपन्यास’ कह दिया। इसके बाद आंचलिक भाषा के शब्दों का प्रयोग करने की होड़ मचने लगी परन्तु रेणु ने मात्र आंचलिक शब्दों से इसे आंचलिक उपन्यास की संज्ञा नहीं दी। रेणु स्वयं भाषा के साथ तथ्य व विचार को महत्त्व देते थे। आंचलिकता पर जो नई बहस, नया शिल्प तैयार हुआ उसकी शुरूआत करने का श्रेय ‘रेणु’ को है इसी का परिणाम है कि आंचलिक उपन्यास का नाम आते ही ‘रेणु’ केन्द्र में स्थापित हो जाते हैं। रेणु हर पात्र व उसकी परिस्थिति के लिए नये शब्द गढ़ते हैं, नये रंगों से उन्हें रंगाते हैं। हर पात्र की अपनी भाषा है जो उसके अस्तित्व को अभिव्यक्त करती है। रेणु आम -आदमी की बातचीत, उनके मुहावरों, लोकोक्तियों कथन भंगिमाओं का बहुत ही सटीक प्रयोग करते हैं।