नारी अस्मिता और नानक वाणी
Keywords:
मुद्रा, अद्वैतवाद, कामिनी, भामिनी, औदात्य, सद्वृत्ति, संकीर्ण, संकुचित, आक्रान्ताओं, बर्बरता, सृजनात्मक, समन्वित, प्रणयानुभूति, जीवात्मा, जड़-चेतन, कुत्सित, निन्दित, घृणित, नारकीय, क्रूरता।Abstract
गुरु नानकदेव जी महान् सन्त और विचारक थे। उनका समस्त साहित्य समाज को विकृतियों से विमुख कर संस्कृति के उदात्त शिखर पर प्रतिष्ठित करने की अदम्य शक्ति का संवाहक है। नारी के प्रति उनका सम्मान समकालीन कुत्सित, निन्दित, घृणित, संकीर्ण सोच वाले विचारकों के चेहरे पर पड़े मुखौटे को नोचता प्रतीत होता है। तत्कालीन यवनों, मुगलों, पठानों आदि ने किस प्रकार हिन्दू नारियों को नारकीय जीवन भोगने के लिए बाध्य किया उसका सम्पूर्ण इतिहास है गुरु-वाणी।